International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
3214299984

भारतीय युवाओं की ...

You Are Here :
> > > >
भारतीय युवाओं की ...

भारतीय युवाओं की समस्याएं : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Author Name : डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव

किसी भी राष्ट्र अथवा देश के नवयुवक उस राष्ट्र के विकास एवं निर्माण की आधारशिला होते हैं । स्वस्थ नवयुवक ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं । इन युवकों से ही देश की वास्तविक पहचान होती है । यदि देश के नवयुवकों में चारित्रिक दृढ़ता व नैतिक मूल्यों का समावेश है तथा वे बौद्‌धिक, मानसिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों से परिपूर्ण हैं तो निस्संदेह हम एक स्वस्थ एवं विकसित राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं । परंतु यदि हमारे युवकों की मानसिकता रुग्ण है अथवा उनमें नैतिक मूल्यों का अभाव है तो यह देश अथवा राष्ट्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है क्योंकि इन परिस्थितियों में विकास की कल्पना केवल कल्पना तक ही सीमित रह सकती हैए उसे यथार्थ का रूप नहीं दिया जा सकता है । विश्व एकीकरण के दौर में अन्य विकासशील देशों की भाँति हमारा भारत देश भी विकास की दौड़ में किसी से पीछे नहीं है । विगत कुछ वर्षों में देश में विकास की दर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है ।