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भाषा की राजनीति

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भाषा की राजनीति

भाषा की राजनीति

Author Name : Dr. Rajkumar Siwach

भारत में हिंदुओं के अतिरिक्त मुसलमानए ईसाईए सिक्खए पारसीए जैनी तथा बौद्ध धर्मो को मानने वाले लोग रहते हैं संविधान द्वारा भारत को एक धर्म.नि.रपेक्ष राज्य घोषित किया गया है और देश के सभी नागरिकों को  धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई हैप् धर्म के नाम पर नागरिकों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता और धर्म के आधार पर किसी नागरिक को किसी अधिकारी या सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता भारत के आधार पर भारत में बड़ी विभिन्नता पाई जाती है लगभग 1600 से अधिक भाषाएं बोली जाती है जिसमें से संविधान द्वारा 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है भारत में भाषा भी जाति क्षेत्रए संप्रदाय की तरह भारतीय राजनीतिक को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख तत्व बन गया हैप् भाषायी प्रशन का देश की राजनीति में समावेश सर्वप्रथम विदेशी सरकार के विरोध के एक साधन के रूप में हुआ थाप् भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के नेता ने आंदोलन के दौरान ही संपूर्ण देश के लिए एक संपर्क भाषा के रूप में हिंदी भाषा का विषय बराबर उठाते रहे हैंप् गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलन और 1920 में अखिल भारतीय कांग्रेस ने नेहरू द्वारा प्रस्तुत भाषायी आधार पर राज्यों के गठन संबंधी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था