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भारत मे नागरिक धोषणा पत्र एवं जनसेवा प्रदायगी

Author Name : डॉ. महेश चन्द गोठवाल

शोध सारांश 

भारत के संबंध में अगर हमें नागरिक घोषणा-पत्र की पृष्ठिभूमि पर विचार करे तो यहँ पाएंगे कि भारत को नौकरशाही व्यवस्था जनता को लोक सेवा की ईमानदारी निष्ठा एव जवाबदेही के प्रति विश्वास नही रहा है। अतः इस स्थिति में जनता का प्रशासन की निष्पक्षता में विश्वास बढ़ाने के लिए 1996 में मुख्य सचिवों के सम्मेलन आयोजन किया गया था। यह आयोजन मूलरूप से लोक सेवा को अधिक कार्यकुशल, जवाबदेह, पारदर्शी एवं लोक उन्मूख बनाने के उद्देश्य से किया गया था। अतः नागरिक घोषणा-पत्र आंदोलन की शुरुआत प्रशासन के प्रति उत्तरदायित्व की भावना से हुई यद्यपि भारत में सरकार एवं ऐच्छिक संस्थाओं द्वारा नागरिक घोषणा-पत्र स्थापित कर जनता को विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिसमें कतिपय सुधार अपेक्षित हैं । सरकार द्वारा अपने देश के नागरिकों को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ ैमतअपबमे उपलब्ध कराई जाती हैं जिन्हें जन सेवाएँ च्नइसपब ैमतअपबमे कहते हैं। इन जन सेवाओं को जनता को उपलब्ध कराना ही जन (नागरिक) सेवा प्रदायगी ;च्नइसपब ैमतअपबमे क्मसपअमतल) कहा जाता है। वस्तुतः सरकारी सार्वजनिक सेवाओं को स्थानीय सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा जनता तक पहुँचाया जाता है। उदाहरण के लिये सीवेज एवं कचरा निपटान, सड़क की सफाई, सार्वजनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, दूरसंचार सेवाएँ आदि।  

मुख्य बिन्दु:- नागरिक घोषणापत्र एवं जन सेवा प्रदायगी , भारत में नागरिक घोषणापत्र ,सेवाएं एवं मूल्यांकन ।