International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
3214299876

मानव सभ्यता विका...

You Are Here :
> > > >
मानव सभ्यता विका...

मानव सभ्यता विकास में रामायण की महत्ता

Author Name : डॉ सरोज मीना

शोध सारांश

वाल्मीकि के मन से निकली रामायण रूपी ज्ञान गंगा में मानव सभ्यता के सभी पहलुओं का उदात्त चित्रण मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने ज्ञान और विचारों के अनुसार कार्य करता है। और जैसा होता है, वैसा ही होता है। यही जीवन का स्वरूप है। महर्षि वाल्मीकि ने रामचरित्र के माध्यम से मानव जीवन या मानव सभ्यता के विकास के लिए आवश्यक सभी गुणों की आवश्यकताओं की चर्चा की जिसकी आवश्यकता विश्व की हर सभ्यता को सदैव रहेगी। रामायण ऐसे सभ्य समाज के निर्माण का सन्देश देती है जिसमें धार्मिक न्याय प्रिय राजाओं के सुशासन में सारा समाज धन-धान्य से परिपूर्ण हो। वह गायों की तरह सभी मवेशियों से समृद्ध हो, घोड़ों और तेज चलने वाले वाहनों से लैस हो और कोई भी गरीब न हो।  रामायण, जिसे हम सभी जानते हैं, में पारिवारिक जीवन के एक उच्च आदर्श का प्रचार किया गया है। राम राज्य छोड़कर पिता की आज्ञा मानकर वन को चले जाते हैं, सीता राजपाट छोड़कर पतिव्रत्य धर्म का पालन करने के लिए वन में चली जाती हैं और लक्ष्मण भी भाई-बहन की सेवा में राजसुख त्यागकर उनके अनुचर बन जाते हैं । रामायण जहां त्यागवादी सभ्यता को दर्शाता है वहींएक श्रेष्ठ मानव सभ्यता के विभिन्न पहलुओ को भी दर्शाता है । रामायण संस्कृति का व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है। जिस कथा ने विश्व जनमानस को सबसे अधिक प्रभावित किया है वह रामायण है। प्रस्तुत शोध पत्र में वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत साहित्य ग्रंथ रामायण का के महत्व का अध्ययन किया गया है ।

मुख्य बिन्दु:- रामायण की महत्ता , संस्कार , पञ्च यज्ञ परम्परा , पारिवारिक आदर्श , रामायण की साहित्यिक महत्ता , रामायण की विश्व-व्यापकता एवं निष्कर्ष ।