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भू-स्थानिक तकनीक...

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भू-स्थानिक तकनीक...

भू-स्थानिक तकनीकों के आधार पर भिवानी नगर में नगरीय वृद्धि का सार रूपी अध्ययन

Author Name : प्रियंका, डॉ. रश्मि शर्मा

सारांश

वैश्वीकरण का भारत जैसे देश पर काफी प्रभाव पड़ रहा है, जो लगातार आर्थिक विकास को बढ़ा रहा है, इसी कारण भारत में बढ़ते शहरीकरण को देखा जा सकता है। नगरीकरण की प्रवृति अकेले भारत देश की ही विशेषता नहीं है बल्कि यह बड़े पैमाने पर अनेक भारतीय छोटे शहरों पर भी लागू होती है, जिनमें दिन-प्रतिदिन बढती नगरीकरण की प्रवृति को देखा जा रहा है। यहाँ नगरीकरण हेतु भिवानी शहर के अध्ययन को प्राथमिकता दी गयी है। भिवानी शहर अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है। भिवानी हरियाणा में दूसरा सबसे अधिक क्षेत्रफल वाला जिला है भिवानी, जिसे भारत की छोटी काशी के नाम से जाना जाता है, यहाँ बड़ी मात्रा में मंदिर स्थित है जो संगमरमर से बने हुए हैं तथा आधुनिक समय की वास्तुकला का प्रतीक है, भिवानी जिला 22 दिसंबर, 1972 को अस्तित्व में आया तब से ही इसमें नगरीकरण की प्रवृति देखी गयी।  1971-1981 के बीच यदि यहाँ नगरीकरण की प्रवृति का अध्ययन करे तो यहाँ नगरीय जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर 29.63 प्रतिशत थी जो 1991-2001 में 39.38 प्रतिशत दर्ज की गयी। इसके उपरान्त भी यहाँ 2001-2011 के बीच नगरीकरण की प्रवृति में 15.64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यहाँ नगरीकरण को बढ़ावा देने की पीछे उत्तरदायी कारक शिक्षा सत्र में हुई बढ़ोतरी ,खेल (अखाड़े), स्वास्थ्य सेवाएं इत्यादि मानी जाती है, जिनके कारण यहाँ बड़े पैमाने पर नगरीकरण बढ़ रहा है, इसके अलावा कृषि और कपड़ा उद्योग एवं शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए सकारात्मक परिवर्तन से यहाँ नगरीकरण का और अधिक विकास संभव है । महायोजना के अध्ययन से यह स्पष्ट  है की यहाँ 2025 तक नगरीकरण के स्तर में और भी अधिक वृद्धि संभव है। यहाँ अध्ययन का मुख्य उद्देश्य लगातार बढ़ रहे नगरीकरण पर प्रकाश डालना है तथा समय समय पर हो रहे आर्थिक परिवर्तनों के कारण हुए नगरीकरण का वर्णन करना है।

संकेताक्षर: वैश्वीकरण, आर्थिक विकास, नगरीकरण, भिवानी शहर, छोटी काशी, महायोजना, सकारात्मक परिवर्तन।