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अशोक और बौद्ध धर्...

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अशोक और बौद्ध धर्...

अशोक और बौद्ध धर्म

Author Name : पूरन लाल मीना

बौद्ध धर्म में दिये गये अशोक के योगदान को सिर्फ बौद्धों के पालि धर्म ग्रन्थों तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है, बल्कि विदेशी यात्रियों जेसे चीनी यात्री हेनसांग, इत्सिग के अलावा यूनानी विद्वानों ने भी जिक्र किया है। स्वयं अशोक के शिलालेखों में भी बौद्ध धर्म से संघ से प्रभावित बातों का जिक्र किया गया हैं राजस्थान के बैराठ का शिलालेख जिसे अब कोलकाता-बैराठ शिलालेख के नाम से जाना जाता है में भी अशोक स्वयं बौद्ध त्रिरत्नबुद्ध, धम्म, संघ में विश्वास व्यक्त करता है।  साथ ही गैर-धार्मिक अर्थात् कवायली, बहेलियो, जनजातीय समुदाय के लोगों से अपील करता है कि वे बौद्ध भिक्षुओं को तंग न करे साथ ही बौद्ध भिक्षुओं ने भी संघ के नियम तोड़े या उनके आपसी काया-क्लेस से संघ की प्रतिष्ठा जीवन शैली को कोई नुकसान पहुँचता है तो उन्हें भी कड़ी सजा दी जायेगी। कवायली, बहेलिये, जनजातीय समुदाय पर अशोक की चेतावनी का असर साफ देखा जा सकता था, और इसके बाद से असामाजिक तत्वों ने लूटपाट, डकैती, चोरी, अवैध उगाही, धार्मिक मठों को नुकसान पहुँचाना बंद कर दिया।