Posted Date : 07th Mar, 2025
Peer-Reviewed Journals List: A Guide to Quality Research Publications ...
Posted Date : 07th Mar, 2025
Choosing the right journal is crucial for successful publication. Cons...
Posted Date : 27th Feb, 2025
Why Peer-Reviewed Journals Matter Quality Control: The peer revie...
Posted Date : 27th Feb, 2025
The Peer Review Process The peer review process typically follows sev...
Posted Date : 27th Feb, 2025
What Are Peer-Reviewed Journals? A peer-reviewed journal is a publica...
संगीत का महत्व एक कलात्मक दृष्टिकोण
Author Name : डॉ0 सोनिया बिन्द्रा
संगीत अभिव्यक्ति की एक उत्कृष्ट कलता है। वैदिक साहित्य में मानव द्वारा सृजित प्रत्येक सृजन को कला के अन्तर्गत माना गया है, और चौसठ कलाओं के अस्तित्व का उद्घोष किया गया। चूंकि ये कलायें मानव की कल्पना शक्ति की अचूक व सुन्दरतम् व्याख्या है, जो मानव निर्मित है। ये सभी कलायें मानव को एक कलाकार के रूप में स्थापित करती है। इन सभी मानव निर्मित कलाओं से रसास्वान नहीं होता। इस दृष्टि से केवल पांच कलाओं को ही विशिष्ट मान्यता प्रदान कर उन्हें ललित कलाओं के अन्तर्गत रखा गया और शेष को उपयोगी कला माना गया। क्योंकि उनके माध्यम से इस भौतिक विश्व की भौतिक आवश्यकताओं (जो मानव उपयोगी है) का सृजन किया जाता है। सभी ललित कलाओं का अपने लालित्य के कारण विशिष्ट स्थान व महत्व है। चाहे वस्तुकला हो, मूर्तिकला हो या शिल्पकला हो, काव्यकला हो अथवा संगीतकला हो सभी में परात्व विषय सामग्री निहित होने के कारण इन्हें स्वतन्त्र कलायें माना गया है। यद्यपि सभी कलायें मानव की सूक्ष्म भावनाओं को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। संगीत सभी ललित कलाओं में प्राचीन है। इसीलिये एक मात्र संगीत कला ही एक ऐसी कला है, जिसमें बाहरी उपकरणों बाह्म साजसज्जा, असीमित साधनों की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि संगीत तो मन से उत्पन्न भाव व संवेदनाओं का एक भावात्मक सम्बन्ध है, जिसका सम्बन्ध आन्तरिक आनन्द सुख, संतोष, तृप्ति तथा आध्यात्मिकता से है। जो एक कलाकार को समाज में प्रतिष्ठित करती है व उसकी कला के उत्कृष्ट प्रदर्शन से पहचान देती है। संगीत कला के विपरीत अन्य कलाओं में साधनों, उपकरणों की अत्यन्त आवश्यकता होती है या इस प्रकार कहे कि बिना उपकरणों के अन्य कलाओं की कल्पना ही व्यर्थ है। उदाहरणतया-चित्रकला के लिये रंग ब्रश, मूर्तिकला के लिए छैनी, पत्थर, हथौड़ी वास्तुकला के लिये ईंट, गारा, सीमेन्ट, पत्थर, चूना इत्यादि की आवश्यकता होती है।