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भारतीय राजनीति में निर्वाचन आयोग की भूमिका
Author Name : डॉ. सुनीता मीणा
शोध सारांश
निर्वाचन आयोग भारत सरकार की एक संस्था ही नहीं बल्कि भारतवर्ष की एक संवैधानिक संस्था है। भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में चुनावों का विशेष महत्व है। स्वतंत्र, निष्पक्ष निर्वाचन हेतु संविधान निर्माण के समय एक स्वायत्त, निष्पक्ष संस्था की कल्पना की गई। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और चुनाव व्यवस्था लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में आधार स्तंभ का कार्य करती है।भारत निर्वाचन आयोग म्समबजपवद ब्वउउपेेपवद व िप्दकपं को चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है। यह यह एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था ंनजवदवउवने बवदेजपजनजपवदंस इवकल है जो संविधान के आर्टिकल 324 के तहत भारत में होने वाले चुनावों और चुनावी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है। जिसकी स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। देश की उच्च न्यायपालिका, केंद्रीय लोक सेवा आयोग और भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (ब्वउचजतवससमत - ।नकपजवत ळमदमतंस व िप्दकपं - ब्।ळ) के अलावा निर्वाचन आयोग ही ऐसी संस्था है जो स्वायत्त और स्वतंत्र है। चुनाव आयोग के कार्यों और अधिकारों निदबजपवदे ंदक तपहीजे का उल्लेख भारत के संविधान ब्वदेजपजनजपवद व िप्दकपं में किया गया है ।
मुख्य बिन्दु:- राजनीति में निर्वाचन आयोग की भूमिका , केन्द्र स्तर निर्वाचन तंत्र , राज्य स्तर निर्वाचन तंत्र , जिला स्तर निर्वाचन तंत्र एवं निष्कर्ष ।